HASYA-VYANG

HANSO HANSAO

KHOON BADHAO

शनिवार, 22 मई 2010

मेरे प्राचीन मोहल्ले कि आधुनिक बरात ( हास्य-व्यंग)

भारत मैं शादी का एक भारतीय के जीवन मैं बहुत महत्व है ! शादी से हमारा सम्बन्ध ऐसा है, जैसे पजामे और नाड़े का जैसे बिना नाड़े का पजामा पहनना संभव नहीं हैं, उसी प्रकार एक भारतीय पुरुष का शादी के बिना रहना संभव नहीं हैं ! लड़का जरा जवान हुआ नहीं कि लड़की वाले उसे ऐसे घेरने लगते हैं जैसे कटे फल को देखकर मक्खी! और अगर लड़का पढ़- लिखकर सरकारी नौकरी पर चढ़ जाये तो फिर तो मक्खियाँ उस पर ऐसे भिनभिनाती हैं जैसे किसी तृतीय श्रेणी नुक्कड़ हलवाई कि दुकान पर खुली रखी मिठाइयों पर मक्खियाँ भिनभिनाती हैं! ऐसी ही एक मिठाई मेरा मतलब है शादी योग्य लड़का है हमारे मोहल्ले के वर्मा जी का लड़का कल्लू! बैसे उसका असली नाम कल्लू नहीं कल्याण है ! मगर हम भारतीयों की एक और परंपरा है हम हर किसी को उसके गुणों को देखकर एक प्यार का नाम भी दे देते हैं ! और कल्याण पर भी मोहल्लेवासियों ने अपना प्यार उसका रंग देखकर कल्लू के रूप मैं उडेला ! खैर नाम को छोडिये नाम मैं क्या रखा है ! हम लौटकर आते हैं कल्लू की शादी पर कल्लू के पिताजी ने जैसे- तैसे जुगाड़ करके कल्लू को U.P. सरकार के समाज कल्याण बिभाग मैं चपरासी बनवा दिया, कल्लू के चपरासी बनते ही वर्मा समाज के लोग कल्लू के रिश्ते के लिए कल्लू के घर के चक्कर ऐसे लगाने लगे जैसे नगर-निगम के चुनाव मैं प्रत्याशी मतदाता के घर के चक्कर लगते हैं ! कल्लू की अम्मा भी अपने चपरासी बेटे की रोयल्टी खाने के चक्कर मैं लोगों को टाल देती थीं ! अम्मा चाहती थीं की उनके कल्लू की अच्छी कीमत उन्हें मिले ! कल्लू की हालत अम्मा ने IPL के खिलाडियों की तरह कर दी थी, जो भी कल्लू की सबसे ज्यादा बोली लगाएगा कल्लू उसी की टीम से खेलेगा ! खैर दिन गुजरे और कल्लू की बोली हमारे ही शहर झाँसी के छगनलाल वर्मा ने जीती ! छगनलाल वर्मा भी उ.प्र सरकार के सेल-टैक्स बिभाग मैं बाबू थे, और व्यापारिओं से सरकार से ज्यादा टैक्स खुद बसूलते थे, सो पैसों की उनके पास कोई कमी थी नहीं, हर अच्छे बाप की तरह वे भी अपनी बेटी को ख़ुशी देखना चाहते थे सो कल्लू को अपनी टीम मैं खिलाने, मतलब अपनी बेटी से शादी करने के लिए छगनलाल वर्मा ने दहेज़ मैं सारे सामान के साथ 5 लाख देने का वादा किया ! तो साहब १२ मई को कल्लू की शादी छगनलाल वर्मा की बेटी भूरी देवी से होनी तय हुई ! मोहल्ले के सब नौ जवान ऐसे खुश हुए जैसे पहली बरसात मैं मेढक खुश हो जाते हैं और टर्र-टर्र करने लगते हैं ! क्योंकि एक तो कल्लू जैसे मोहल्ले के फेमस लड़के की शादी वो भी अपने ही शहर मैं बारात मैं जाने मैं कोई बाधा भी नहीं ! खैर पूरा मोहल्ला कल्लू की शादी को लेकर ऐसे खुश था जैसे मनमोहन सिंह के शपथ समारोह मैं सोनिया जी के साथ सारे कांग्रेसी ! वर्माजी ने भी हमारे मोहल्ले की परम्परानुसार हर छोटे - बड़े को कल्लू की बारात मैं चलने का आमंत्रण दिया ! कहते हैं ख़ुशी के दिन बहुत तेज़ी से गुजरते हैं इस बात का एहसास हमें तब हुआ जब बरात का कार्यक्रम बनाते - बनाते १२ मई का दिन आ गया और हमारे कल्लू की बारात छगनलाल वर्मा के दरवाज़े मतलब विवाह घर के दरवाज़े जाने को तैयार थी ! मोहल्ले के सारे नौ जवान लेटेस्ट कपडे पहनकर नाचने के लिए तैयार थे ! मेरा लंगोटिया यार गुल्खाई भी मेरे पास आया और बोला यार क्या कर रहे हो, अभी तक तैयार नहीं हुए क्या? कल्लू की बारात मैं नहीं चलना क्या ? मैं बोला चलना है यार मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था, तुम 5 मिनिट रुको या फिर कल्लू के घर पहुँच कर उसके घर आई तितलियों के दर्शन करो मैं बही पहुचता हूँ ! गुल्खाई के बारे मैं बता दूं हम दोनों काफी करीबी यार हैं हम उम्र होने की बजह से एक दुसरे को अच्छी तरह समझते हैं ! मोहल्ले मैं जाने वाली किसी भी बारात मैं साथ ही जाते हैं ! खैर मैं अपने पास उपलब्ध सबसे अच्छे कपडे पहनकर मैं कल्लू के घर पहुँच गया, जहाँ बारात चलने की पूरी तैय्यारी हो चुकी थी, और मेरा यार गुल्खाई बेसब्री से मेरा इंतज़ार कर रहा था ! यार कितनी देर कर दी, बारात चलने वाली है ! बारात चलने वाली है मगर कल्लू तो कहीं नज़र नहीं आ रहा! अरे बो देखो कौन आ रहा है गुल्खाई ने इशारा करते हुए कहा ! मैंने देखा कल्लू सिर पर बड़ा सा टोपा लगाये, बगल मैं कटार लगाये पूरी तरह नई सज - धज के साथ अपने घर से निकल रहा है ! घर से निकलते ही बेन्ड मास्टर एक्शन मैं आ गया और बेन्ड मास्टर के एक्शन मैं आते ही पूरा मोहल्ला झाँसी के मशहूर जिया बेन्ड की करतल ध्वनि से गूँज उठा ! कल्लू बड़ी शान से घोड़ी की तरफ बड़ा और उस पर राणा प्रताप की तरह सवार हो गया ! बगल मैं लटकी कटार को उसने मैसूर के सुलतान टीपू सुलतान की तरह संभाला ! इसी के साथ कल्लू अपना काफिला लेकर शेहनाई- गार्डन की ओर बड़ा जहाँ छगनलाल वर्मा ने विवाह का कार्यक्रम रखा था ! बैंड पर पहला गाना बैंड मास्टर ने अपनी पसंद का " नगाड़ा - नगाड़ा - नगाड़ा बजा " बजाया गाना अपनी पसंद का इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि उसके बाद बैंड मास्टर को अपनी पसंद का गाना बजाने का मौका ही मिलने वाला नहीं था क्योंकि हमारे मोहल्ले के कुछ हुडदंग पसंद, दबंग किस्म के बाराती अंगूर की बेटी के चढ़ते ही उसको अपने कब्जे मैं करने वाले थे, उसके बाद बैंड मास्टर वही गीत बजाएगा जो ये बाराती चाहेंगे! खैर नगाड़ा - नगाड़ा - नगाड़ा बजा बजते ही कुछ डांसर आगे आये और टेस्ट क्रिकेट के ओपनर की तरह मजे से डांस की पारी शुरू की ! बारात धीमी गति से अपने गन्तव स्थान की ओर बढ़ रही थी ! धीरे - धीरे सारे हुडदंग पसंद, दबंग किस्म के बाराती अंगूर की बेटी चढ़ाकर डांस के मैदान मैं उतर आय! मैं समझ गया डांस का असली T -20 world - कप अब शुरू होने वाला है ! आते ही सबसे पहले उन्होंने हमेशा की तरह बैंड मास्टर को अपने पास बुलाया, और उसके कान मैं कुछ फुसफुसाया ! बैंड मास्टर ने तुरंत अपना हाथ घुमाया ! और बदमाश कम्पनी की पसंद का गाना बजाया ! गाना था, " तैनू घोड़ी किन्ने चढ़ाया भूतनी के, तैनू दूल्हा किन्ने बनाया भूतनी के" गाना बजते ही सारे ऐसे आढे- तिरछे हो - हो कर नाचने लगे जैसे आज डांस इंडिया डांस का ग्रांड फिनाले हो, और शो के जज मिथुन चक्रबर्ती इन्ही मैं से किसी एक को ट्राफी देने बाले हैं ! खैर " तैनू घोड़ी किन्ने चढ़ाया भूतनी के, तैनू दूल्हा किन्ने बनाया भूतनी के" गाना सुनते ही गुल्खाई बोला यार हमारे ज़माने मैं तो "आज मेरे यार की शादी हैं" बजता था ये कौन सा गाना बज रहा है ! अबे इस गाने का क्या मतलब है ! मैं बोला यार सीधा सा तो मतलब है, भूतनी का हुआ अपना कल्लू और भूतनी हुई कल्लू की अम्मा ! यार कल्लू की अम्मा सुनेंगी तो बुरा नहीं मानेंगी ? मैं बोला बिलकुल नहीं मानेंगी वो आगे देखो कल्लू की अम्मा इसी गाने पर अपने जीजा रामभजन के साथ शोले की बसंती की तरह कैसे ठुमके लगा रही हैं ! यार जब भूतनी मेरा मतलब है अम्मा को कोई आपत्ति नहीं है तो तू क्यों टेंसन लेता है ! इतने मैं ही बदमाश कम्पनी का एक बदमाश आया और मुझे और गुल्खाई को पकड़कर ले गया और नचा दिया ! और उन्होंने बारात मैं शामिल हर जाने - अनजाने बाराती को पकड़ - पकड़ के नचाया ! खैर नाचते - गाते बारात आगे बढ़ रही थी ! इस बीच कल्लू किसी पुतले की भांति यहाँ-वहां ताक रहा था, हालाँकि दुल्हे की पोस्ट पर होने की बजह से कल्लू इससे ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकता था ! क्योंकि बारात जाते वक़्त दूल्हा सबसे निरीह जीव होता है क्योंकि दूल्हा घोड़े पर राणा प्रताप की तरह सवार तो हो जाता है मगर ज्यों - ज्यों बारात आगे बढती है दुल्हे को तब पता चलता है कि घोड़े की सवारी कितनी कठिन होती है ! दूल्हा राश्ते भर यही सोचता रहता है कि घोडा कहीं बिचक न जाये ! खैर भगवान का नाम रटते - रटते सभी दुल्हे ठिकाने पर पहुँच ही जाते हैं, सो अपना कल्लू भी ठिकाने लग गया ! दरवाज़े की छटा देखते ही बनती थी! मंगल कलश लेकर नव- युवतियां कल्लू का स्वागत करने को तैयार थी! कुंवारियों मैं अपने नए जीजा जी के दर्शन की होड़ सी लगी थी ! यहाँ बदमाश कंपनी के अधिकतर डांसर डांस करते - करते लस्त पड़ चुके थे, परन्तु दरवाज़े पर एकत्र रंग - बिरंगी तितलियों को देखकर उनमे दोबारा एक नए जोश का संचार हो जाता है, और दुल्हे को ठिकाने लगाकर भागने की जुगाड़ कर रहे बैंड वालों को पकड़कर डांस का मल्ल युद्ध शुरू कर देते हैं ! मैं और गुल्खाई किनारा पकड़ विवाह - घर के अन्दर प्रविष्ट हो जाते हैं ! विवाह - घर के अन्दर का दृश्य बड़ा बड़ा भव्य था ! चारों और लोग ही लोग नज़र आ रहे थे ऐसा लग रहा था कि छगनलाल वर्मा ने सारे शहर को आमंत्रित किया हो ! इस बीच हमारा कल्लू भी विवाह - घर के अन्दर प्रविष्ट हो चूका था ! कल्लू को किसी V.I.P. की भांति सुरक्षा घेरे मैं लेकर कुछ लोग आगे बढे और विवाह - घर के बीचों-बीच बने मंच पर आसीन कर दिया ! पंडाल मैं लगी कुर्सियां धीरे - धीरे भरने लगी ! मैंने भी गुल्खाई के साथ जयमाला कार्यक्रम देखने के लिए centre corner की सीट पर आसन जमा लिया ! centre corner की सीट पर बैठकर जयमाला देखने का अपना एक अलग ही मजा है और फ़ायदा भी जो आपको थोड़ी देर मैं समझ मैं आएगा ! खैर थोड़े से इंतज़ार के बाद दुल्हन भूरी देवी अपनी सखी - सहेलियों, भाभियों - बहनों की टोली के साथ हाथ मैं वरमाला लिए दुल्हे कल्लू की ओर बढ़ी ! उसे देख कल्लू की धड़कन ऐसे बढ़ रही थी, जैसे किसी ज़माने मैं लिली, थामसन के हाथ मैं गेंद देखकर बिशन सिंह बेदी की बढ़ा करती थी ! खैर दुल्हन का काफिला हमारे करीब से गुजरा तब नाना प्रकार की खुशबुओं से हमारा अन्तरंग महक उठा ! मेरे एकदम करीब से गुजरी एक नव - योवना की पृष्ठभूमि पर नज़र पड़ी तो देखा उनका पृष्ठ भाग सेंसेक्स की भांति कभी ऊपर कभी नीचे हो रहा था ! और उसकी कमर तक आती छोटी इस उठते-गिरते सेंसेक्स का संकेत दे रही थी ! शायद अब आपको centre corner की सीट का महत्व समझ मैं आया हो ! वैसे हम दोनों मित्र काफी शरीफ हैं पर कुछ मामलों मैं शरीफ आदमी ही सबसे बदमाश होता है ! खैर जयमाला तक दुल्हन पहुँच गई और काफी खुशनुमा माहौल मैं दोनों ने एक दूसरे से वरमाला बदलकर अपने को हमेशा के लिए एक दूसरे के खूंटे से बाँध दिया ! दुल्हन की परिधान और चेहरे की डेंटिंग - पेंटिंग देखकर गुल्खाई बड़ा प्रभाबित हुआ, बोला यार दुल्हन की सजावट तो बहुत अच्छी की है ! मैं बोला उसका लहंगा देख रहे हो 5000 का है ! बोला यार ५००० का लहंगा खरीदने की आवश्यकता थी! मैं बोला अबे धीरे बोल ये लहंगे का दाम नहीं एक रात का किराया है ! दुल्हन की सजावट पर 10000/- का खर्च किया है ! गुल्खाई बोला यार इतने मैं तो हमारे ज़माने मैं पूरी शादी हो जाती थी, जितना दुल्हन ने किराये का सामान पहन रखा है ! खैर अब बर - बधू के साथ तस्वीरें खिंचवाने का सिलसिला शुरू हुआ जो काफी लम्बा चलने वाला था ! इस बीच हमारे पेट के अन्दर चूहों ने भांगड़ा शुरू कर दिया था, सो हमने तुरंत खाने की तरफ अपना रुख किया ! खाना भी आज का प्रचलित गिध्भोज मतलब buffe था ! मैंने और गुल्खाई ने प्लेट पकड़ी और खाने की पिच पर उतर आये बैटिंग करने के लिए ! शादी मैं खाने के इतने आईटम थे कि हम तय नहीं कर पा रहे थे कि शुरुआत कहाँ से करें खैर गुल्खाई कि इच्छानुसार हमने मसाला डोसे से शुरुआत करने का मन बनाया ! काउंटर पर पहुँच कर भीड़ देख कर पता चला कि मसाला डोसे कितनी प्रसिद्ध डिश है, विशेषकर महिलाओं और बच्चों मैं जिस पर वे टूटे पड़ रहे थे ! 4-५ प्रयास के बाद हम भी मसाला डोसा पाने मैं कामयाब हुए ! एक कोना पकड़कर हमने मसाला डोसा का मज़ा लेना शुरू किया तो शरीफ आदमियों के कानो का दुश्मन D.J. झनझना उठा " ओ ढोल jageera da " गुल्खाई के हाथों से प्लेट छूटते - छूटते बची गुस्से मैं मुझसे बोला यार D.J. वाले ये गाना क्यों बजाते हैं ? ये जगीरा कौन है ? मैं बोला यार ये जगीरा पंजाब का कोई ढोल बाला है शायद कहीं खो गया होगा ! इसलिए हर शादी मैं ये गाना बजाते इसे सुनके शायद जगीरा आ जाए ! तू टेंसन न ले यार मजे से खाना खा ! यार ये D.J. वाले सिर्फ पंजाबी गाने क्यों बजाते हैं ? अरे " गोरी को पल्लू लटके " " अंगना मैं आई हमार भौजी " क्यों नहीं बजाते ? इस बीच बदमाश कंपनी के डांसर D.J. Floor पर पहुँच गए और गाना बजा ब्राज़ील .... ब्राज़ील और सारे डांसर फिर D.J. Floor पर T-20 खेलने लगे ! गुल्खाई बोला यार ये D.J. तो पंजाब छोड़कर सीधे ब्राज़ील पहुँच ऐसा क्यों ? मैं बोला हमारे देश की नीति है, " बसुन्धरा कुटुम्ब्कुम" मतलब सारा विश्व हमारा परिवार है" खैर हमने धीरे - धीरे काफी आईटम निबटाये! यहाँ D .J के जुल्म से गरम गुल्खाई को ठंडा करने के लिए मैंने कहा चलो ice cream खिलाकर तुम्हें ठंडा करते हैं ! मगर ice cream counter का हाल इतना बुरा था कि ऐसा लग रहा था कि शरद पूर्णिमा के दिन कोई धनवान निर्धनों को धन बाँट रहा हो, बस कपड़ों का फर्क था ! खैर कई प्रयासों के बाद भी मैं ice cream नहीं पा सका ! तभी मैंने देखा सेंसेक्स भाभी Ice cream की katori लिए ice cream खा रही थी, उन्हें खाते देख हम लोगों की Ice cream खाने की तलब स्वत समाप्त हो गई ! गुल्खाई बोला यार पहले के ज़माने मैं बारातियों को मना मना कर खिलाते थे आजकल मांगे से नहीं दे रहे ! मैंने कहा यार जो मिल गया सो खाओ Ice cream न मिलने की कसक भुलाओ ! आओ विदा होने वाली है ! हमारे यहाँ बुंदेलखंड मैं विदा के समय गाते हुए रोने की परंपरा है ! और ये परंपरा दुल्हन की माँ ने बड़ी अच्छी तरह से निभाई " ओ मोरी मैदा की लोई को कौआ ले गओ " की दहाड़ सुनकर गुल्खाई बोला यार इसका क्या मतलब हुआ ! मैं बोला यार इसका कहने का मतलब है कौआ रूपी अपना कल्लू इसकी मैदा रूपी भूरी देवी को ले जा रहा है ! खैर माँ के बिलाप के बाद विदा होकर दुल्हन ससुराल आई और मोहल्लेवासियों ने खुले मन से उसका स्वागत किया ! उसके २ वर्ष बाद कल्लू के भाई लल्लू की शादी हुई, उसकी कहानी इस कहानी के हिट होने के बाद ....................................

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