HASYA-VYANG

HANSO HANSAO

KHOON BADHAO

बुधवार, 2 जून 2010

पति बेचारे धारावाहिकों के मारे !

आजकल भारतीय नारियों को एक बहुत ही गंभीर बुखार  ने जकड रखा है, और वो बुखार है टी.वी. पर प्रसारित होनेवाले धारावाहिकों का ! और पत्नियों पर चढ़े इस बुखार की चपेट मैं अप्रत्यक्ष रूप से पति भी शिकार हो रहे हैं ! पति बेचारा दिनभर का थका - मांदा ऑफिस से घर आता है, और अपना दिमाग फ्रेश करने के लिए जैसे ही टी.वी   का रिमोट अपने हाथ मैं थामकर अपनी नाजुक उँगलियों से उसे चलाता है, वैसे ही पत्नी की कर्कश आवाज़ आती है, सुनो बही चैनल लगा रहने दो आज बालिका बधू मैं आनंदी मरने वाली है !   पति बोला अरे डार्लिंग आज इंडिया का ऑस्ट्रेलिया से मैच है, और मैं वो मैच देखना चाहता हूँ ! पत्नी बोली अरे ऐसा मैच देखने से क्या फ़ायदा जिसका नतीजा पहले से ही मालूम हो, अरे तुम्हारे मुंये खिलाडी कभी ऑस्ट्रेलिया से जीते हैं जो आज जीतेंगे ! पत्नी ने पति की गुस्सा पूरी की पूरी भारतीय क्रिकेट टीम पर निकाल दी ! पति बेचारा मन - मसोस के एक कोने मैं बैठ गया ! पत्नी अपना धारावाहिक देखने मैं मगन हो गई ! थोड़ी देर बाद पति ने कहा अरे भई मुझे बहुत भूख लगी है, खाने की क्या व्यवस्था है ? पत्नी ने घूरकर पति को ऐसे देखा जैसे एल बी डव्लू आउट होने के बाद बल्लेबाज़ umpire को घूरता है, बोली यहाँ बेचारी आनंदी की जान जा रही है, और तुम्हे निर्मोही भूख सता रही है ! थोड़ी देर और सबर करो एपिसोड ख़तम होते ही खाना बनती हूँ ! पति बोला डार्लिंग यही हाल रहा तो आनंदी की जान जाये न जाये मेरे प्राण भूख से अवश्य निकल जायेंगे ! इस बीच उनका बच्चा आ गया, वो भी जिद पकड़ गया बोला मम्मी मुझे रिमोट दो मुझे कार्टून देखना है ! मम्मी बोली जा बेटे अपने पापा को देख ले ! बेटा बोला नहीं मम्मी मुझे नया कार्टून देखना है मैं पुराना कार्टून देखते - देखते बोर हो गया हूँ ! पति बेचारा सहमी आवाज़ मैं बोला बेटा दो दिन बाद तेरे नाना और मामा आने वाले हैं तब नए कार्टून देख लेना ! तभी धारावाहिक मैं ब्रेक हो गया, पति ने एक बार फिर डरते - डरते रिमोट उठाया और मैच का ताज़ा हाल जानने के लिए खेल चैनल लगाया ! पता चला भारत ६ रन से  मैच हार गया ! पति ने भारत की इस हार पर अफ़सोस जताया, बोला डार्लिंग आज बस ६ रन से भारत पीछे रह गया बरना आज हम उन्हें हरा ही देते, तुम्हारे धारावाहिक की बजह से इतना इंट्रेस्टिंग मैच चूक गया  ! पत्नी ने व्यंग किया हाँ जैसे अगर तुम मैच देख रहे होते तो अंतिम गेंद पर छक्का मार कर जितवा ही देते ! और पत्नी ने पति के हाथ से रिमोट लगभग झपटते हुए, फिर से चैनल बदल दिया ! पति बेचारा फिर से मन मसोस के बैठ गया !

मुझे लगता है, आज उस जैसा हमारे देश मैं कोई एक पति नहीं हैं, बल्कि आज लगभग हर शरीफ पति की यहाँ हालत है ! मैं भी जब कभी इन धारावाहिकों का मज्बूरीबश अवलोकन करता हूँ, तो मेरे दिमाग मैं इन धारावाहिकों से सम्बंधित कुश यक्ष प्रश्न दिवाली के पटाखों की तरह फटते रहते हैं ! जैसे प्रश्न नंबर एक कहते हैं भारत मैं नारियों की स्तिथि आज भी ज्यादा अच्छी नहीं हैं, और हमारे कवि बिरादरी के कुछ कवि अपनी कविताओं मैं आज भी भारतीय नारी को अबला के रूप मैं दर्ज करते हैं,  क्या इन धारावाहिकों की नायिकाओं काम खलनायिकाओं को देख कर ऐसा लगता है की ये अबलायें हैं ? वे अपने पतियों पर ऐसे हावी रहती हैं, जैसे निचले क्रम के बल्लेबाजों पर तेज गति के गेंदबाज़ रहते हैं !
प्रश्न नंबर २ कहते हैं भारतीय संस्कृति पुरुष प्रधान है, और वे आज भी नारियों को अपने बरावर का दर्ज़ा देने को तैयार नहीं, जरा इन धारावाहिकों के नायकों को देखिये ये कहीं से भी दमनकारी लगते हैं, उनकी हालत हमेशा ऐसी रहती है जैसे सोनिया गांधीजी के सामने मन मोहन सिंह जी की रहती है ! तीसरा प्रश्न जो मुझे अक्षर परेशान करता है जब कभी भी इन धारावाहिकों मैं पैसे का लेन - देन होता है तो हजारों लाखों नहीं बल्कि हजारों करोड़ों मैं होता है, मेरी आज तक समझ मैं नहीं आता की ई ससुर नायक दिन भर तो घर मैं अपनी बीबियों की डांट सुनते हैं फिर ई ससुर ऐसा कौन सा व्यापार करते हैं जिसमें सीधे १००० करोड़ कमा लेते हैं ! चौथा प्रश्न जो मेरे दिमाग मैं सचिन तेंदुलकर के स्ट्रेट drive की तरह लगता है वो ये की जितने जवान - जवान इन धारावाहिकों मैं बच्चे होते हैं, उनसे जवान - जवान उनकी माएं होती हैं, अगर मैं गब्बर के स्टाइल मैं कहूं तो ई  धारावाहिक वाले अपनी नायिकाओं को कौन चक्की का पिसा आटा खिलाते हैं, जरा दारियों के हाथ पाँव तो देखो ऐसा लगता है मुर्गे की टांगो को सजा कर रखा है, जब भूख लगे खा जाओ !  अगला प्रश्न मेरे दिमाग मैं मरे हुए माइकल jeckson  की भांति नित नृत्य करता है की यार ये एकता कपूर मरे हुए इंसानों को जिन्दा कैसे कर लेती है ? हालाँकि इस प्रश्न का उत्तर मरे jeckson की भांति मरा हुआ ही है,  की अगर मरा हुआ व्यक्ति जिन्दा होता तो अमेरिकेन मरे हुए jeckson को फिर से जिन्दा नहीं कर लेता? प्रश्न तो अभी बहुत से हैं जो मेरे मन मैं भांगड़ा कर रहे हैं, मगर और प्रश्न फिर कभी !

अब मैं विवेचना करता हूँ कि इस धरवाहिकी संस्कृति ने हमें दिया क्या है? तो मैं पाता हूँ हूँ कि इन धारावाहिकों ने चलो कुछ दिया तो सही अब आप जानने के लिए उत्सुक होंगे कि आखिर ऐसा क्या दिया जिसकी चर्चा की जाये, तो मैं बताता हूँ न आपको इन धारावाहिकों ने हमें हमारे नीरस पड़ते रिश्तों के नामों को कई  bairaities उपलब्ध करवाई हैं, जैसे पहले हम कहते थे जीजाजी, अब इस जीजाजी मैं इन धारावाहिकों ने अलग-अलग फ्लेवर पेश किये हैं जैसे जीजू , जीज, जुज आदि ! अब अपने टेस्ट के हिसाब से सेलेक्ट कर सकते हैं आप क्या कहना पसंद करते हैं ! बड़ी बहिन की भी इन्होने काफी अच्छी रेंज पेश की है, पहले हम कहते थे जीजी , दीदी अब उन्होंने समय की कमी को देखते हुए उसे कर दिया जी , दी आदि ! माँ को मोम पापा को पॉप कर दिया है ! दादी को दीदा कर दिया है  मतलब इतनी लोच पैदा कर दी है रिश्तों के नामों मैं कि आप उन्हें अपनी सुबिधानुसार इस्तेमाल कर सकते हैं !

आजकल हमारे समाज को धारावाहिक एक और चीज़ सप्लाई कर रहे हैं ! वो हैं हमारे बच्चों के नाम पहले हम नाम रखते थे रामप्यारे , रामदुलारे, अब अगर बच्चों के ऐसे नाम रख दो तो वो पैदा होते ही माँ - बाप से रिश्ता तोड़ डाले ! आजकल सारे नाम   धारावाहिकों से उठाये जा रहे हैं ! मैं एक दिन अभी अपने मित्र के घर पहुंचा मेरी भाभी जी ने बड़े प्यार से अपने बेटे को बुलाया बेटे आदि अंकल को नमस्ते करो ! मैंने मित्र से पूछा यार अपने बेटे का ये क्या नाम रख दिया आदि कुछ आधा- अधूरा सा नहीं लग रहा ? मेरा मित्र बोला यार तू सही कह रहा है ५ साल पहले जब इसका जनम हुआ था तब मैंने इसका नाम आदित्य देव रखा था, मगर न जाने मेरी पत्नी ने किसी धारावाहिक मैं ये नाम देख लिया आदि उसे पसंद आ गया, बोली ये मोडर्न नाम है रख लें, मेरी क्या हिम्मत मैं मना करता सो इसका नाम आदित्य से आदि हो गया ! इतने मैं ही उसकी बेटी हमारे बीच उपस्तिथ हुई, मेरा मित्र बोला बेटा तानी अंकल के लिए जरा ठंडा पानी लाओ ! मैं बोला यार ये क्या नाम हुआ भला तानी ! मेरा मित्र फिर अपने धरवाहिकी जखम दिखाते हुए बोला यार ये भी किसी धारावाहिक की देन है ! वैसे इसका नाम तनु है मगर इसकी माँ इसे प्यार से तानी बुलाती है ! मेरे एक पडोसी हैं उनके यहाँ लड़का हुआ अच्छे पडोसी होने के नाते मैं भी खुश हुआ और उसी ख़ुशी मैं मैंने उनसे पूछ लिया यार अपने बेटे का नाम क्या रखा ? बोले सूजल, मैं चौंका क्या सूजन अरे सूजन नहीं भई सूजल बे बोले ! मैं बोला यार देश मैं इतने प्यारे - प्यारे नाम छोड़कर तुम्हें यही नाम मिला सूजल सुनकर ऐसा लगता है किसी बुजुर्ग के जाते समय उसके शारीर पर सूजन आ गई हो! वे बोले यार क्या करें मैं तो इसका नाम सुजीत रखना चाहता था मगर मेरी पत्नी को एक धारावाहिक मैं ये नाम पसंद आ गया, इसलिए उसने सुजीत का सूजल कर दिया ! मैंने अपना माथा पकड़ लिया यार इस देश का कुछ नहीं हो सकता ! ये पति बेचारे धारावाहिकों के मारे ! 

सोमवार, 31 मई 2010

हे भगवन तुम कब लोगे अवतार ?

इस धरती पर पूछ रहे हैं सब तेरे भक्त ये बारम्बार !
हे भगवन कहाँ सोये हुए हो तुम  कब लोगे अवतार !
अत्याचार पहुंचा   शिखर पर मचा चहुँ ओर हाहाकार !
हे भगवन कहाँ सोये हुए हो तुम कब लोगे अवतार !
सच्चे यहाँ पर नीर हैं, बहाते  होता  झूठों का सत्कार !
हे भगवन कहाँ सोये हुए हो तुम कब लोगे अवतार !
पापी यहाँ फल - फूल रहे जो हैं ताडन के हकदार !
बहती  इस देश मैं नित- दिन मासूम लहू की धार !
हे भगवन कहाँ सोये हुए हो तुम कब लोगे अवतार !
नित चढ़ती बलि दहेज़ की बेटियां जो हैं सुकुमार !
दहेज़  लोभी करते  इन पर न  क्या क्या अत्याचार !
हे भगवन कहाँ सोये हुए हो तुम कब लोगे अवतार !
बदल  दिया है  कुछ  पापियों  ने  तेरा ये संसार !
चलती है  रोज़  ही उनकी निर्दोषों पर तलवार !
हे भगवन कहाँ सोये हुए हो कब लोगे अवतार !
रक्षक  ही भक्षक बन बैठे जनता जाये कहाँ लाचार !
सज्जन लोग सहमे से सारे सुन जालिमों की हुंकार !
हे भगवन कहाँ सोये हुए हो तुम कब लोगे अवतार !
भूल गए सब   सत्कर्मों को भूल गए उच्च संस्कार !
भाई बना है भाई का दुश्मन है मर मिटने को तैयार !
हे भगवन कहाँ सोये हुए हो तुम कब लोगे अवतार !
कहते हैं सब हे  प्रभु तुम्हारी लीला अपरम्पार !
जब जब  पाप बड़ा धरती पर करते तुम उद्धार !
हे भगवन कहाँ सोये हुए हो तुम कब लोगे अवतार !
हे कृष्ण  क्या चक्र सुदर्शन तुम्हारा हो गया   बेकार !
हे  राम   कहाँ बाण  तुम्हारे किया था जिनसे रावण का संहार !
हे बजरंग महाबली कहाँ गदा तुम्हारी करते जिससे शत्रु पर वार !
या वक़्त के आगे कमज़ोर पड़े तुम उठा नहीं सकते उस गदा का भार !
हे भोले जिस तांडव को देख दुश्मनों मैं मचती थी हाहाकार !
वो तांडव क्यों भूल गए तुम क्या कुंद हुई तुम्हारे तिरशूल कि धार !
दुर्गा माँ कहाँ खडग तुम्हारी किया था जिससे तुमने पापी भैरों पर वार !
मारे कितने पापी अधर्मी असुर तुमने किया भय मुक्त संसार !
कर दो नाश पापियों का अब तो सच्चे करें तुम्हरी जय- जयकार !
हे भगवन कहाँ सोये हुए हो तुम कब लोगे अवतार !

शनिवार, 29 मई 2010

सोनिया जी तुम कब सास बनोगी ?

जैसा की हम सभी जानते हैं कि आजकल शादियों कि बहार  है !
फिर भी एक शाही शादी का हमें ही नहीं सारे देश को इंतज़ार है !
वैसे तो अभी हमारे देश मैं कुंवारे बहुत से नामी लड़के हैं !
मगर सोनिया के दुलारे हम सबके प्यारे राहुल सबसे बढ़के हैं !
पता नहीं सोनिया जी अपना ये फ़र्ज़ क्यों नहीं निभा रहीं हैं !
न राहुल को लड़की मिल रही है न ही सोनिया जी ढूंढ पा रही हैं !
एक दिन शून्य काल के दौरान लालू जी को राहुल कि शादी का ख्याल आया !
उन्होंने तुरंत्ते ही इस सम्बन्ध मैं सोनिया जी से बात करने का विचार बनाया !
अगले दिन सुबह ही उन्होंने अपने  चालक  को बुलवाया !
और सुबह सवेरे ही सोनिया जी के घर पर डेरा जमाया !
सोनिया  जी के नौकर ने जब बताया मैडम लालटेनवाले लालूजी आये हैं !
मैडम के मन मैं  बुरे ख्याल आने लगे पता नहीं कौन सी बुरी खबर लाये हैं !
उनकी लालटेन तो कुछ जल नहीं रही हमारी बत्ती तो बुझाने नहीं आये हैं !
खैर शंकाओं - आशंकाओं मैं घिरी मैडम  कमरे से बाहर आईं !
लालूजी को देख बेबसी मैं इटालियन इस्टाइल मैं मुस्काईं !
बोली " बैठिये लालूजी और बताइए इतना सवेरे सवेरे कैसे आये हैं ?
क्या सरकार से समर्थन बापस लेना का दमकी देने को आये हैं ?
लालूजी -
" अरे नहीं मैडम हम उतना ख़राब नेता नहीं हूँ  जितना सब सोचते हैं !
अरा आखिर हम नेताओं के राजनीति से हटके भी कुछ रिश्ते होते हैं !
अउर आज हम अपन ऐसन ही सामाजिक रिश्ता निभाने आया हूँ !
अउर  आपको  आपकी  एक  बहुत्ते बड़ी जिम्मेदारी बताने आया हूँ !

जैसे ही  लालूजी ने अपने मन कि भावनाएं सोनिया जी को बताईं !
चलो सरकार सलामत है ये सोचकर उनकी जान मैं जान आई !
 सोनिया जी-
" लालूजी खिरप्या खरके बताइए हमने हमारा कौन सा खर्ताब नहीं निभाया !
जिसका झिम्मेधारी बताने खो आपं इतना सुभे सुभे हमारे घर  खो आया !"

लालूजी -
" अरा नहीं मैडम, आपने तो अपने सारे करतब सही से निभाए हैं !
अरा हम तो हियाँ सुभह - सुबह आपसे बस यही कहिने आये हैं !
आजकल मैरेज सीजन चल रहा अउर आप भी इका लाभ उठा लो !
अरा राहुल बिटवा कि उमर हो गई अब तो उनका ब्याह रचा दो !
 मैडम एक बताते हैं पका हुआ टमाटर अउर कंवारा लड़का एक सामान होता है !
ज्यादा देर हो जाये ता पहिला बदबू अउर दूसरा हियाँ - वहां मुंह मारने लगता है !
इससे पहिले कि ऐसन पाजिशन आबे आप अपन करतब निभा दो !
अउर कोई अच्छा सा छोकरिया देखकर ओक्रका व्याह करा दो !

सोनिया जी -
" लालूजी हर माँ कि तरह हमारे मन मैं भी बहु का हसरत होटी है !
मगर शादी खरने के लिए एक अच्छा लरकी की जरुरत होटी है !"
अगर आपकी नझर मैं कोई अच्छा लरकी हो तो खिरप्या बताइए!
और अपना गठबंधन सरकार मैं होने का खर्ताब निभाइए !

लालूजी -
" अरे मैडम हम्मार देश मैं छोकरियन का कौनौ कमी चलती है !
अरे अच्छे छोकरा के लिए एक ढूंढो हज़ार छोकरियां मिलती हैं !
मैडम हम्मार समझ से राहुल का व्याह राखी सावंत से कर देते हैं !
अउर अगले लोकसभा चुनाव मैं ओक्राके टलेंट का पूरा लाभ लेते हैं !
मैडम कहिते हैं बड़ी कटीली नचनिया है ऊ
सास   की  आम  सभा  मैं  जब  बहु ठुमका लगाएगी !
कसम से कहिते हैं मैडम पार्टी अच्छा परचार पायेगी !
सोनिया जी -
" नहीं - नहीं सुना है बहुत छालाक है वो हमको अपना छालाकी दिखाएगी !
हुसको ठो रहने डो वो हमारी जगा भाषण डेगी और हमसे डांस करवाएगी !

लालूजी -
" मैडम जो आप कहे हैं  हमका लगता है वो बात भी सच है !
अच्छा ओकी जगह कटरीना चलेगी उमा तो आपवाला टच है !
मैडम आजकल वो फ़िल्मी परदे पर पूरी तरह से छा रही है !
मैडम सुना है राजनीती फिल्म मेल ऊ आपका रोल निभा रही है !
मैडम हमका लगता है ई छोकरी राहुल को भी भा जाएगी !
और आपकी टूटी उसकी फूटी हिंदी पूरे  देश पर छा जाएगी !

सोनिया जी -
" लालूजी आपका यह वाला परस्ताव हम्खो भी पसंद आ रहा है !
मगर सुना है सलमान खान कटरीना के हर फटे मैं ठांग अड़ा रहा है !

लालूजी -
" मैडम ओक्राकी तुम कौनौ फिकर न करो ऊ ससुर का हमरे बीच मैं टांग अड़ाएगा!
अरे अपन साला साधू को बोल देंगे ऊ ससुरे को बिना टांग का करके छोड़ जायेगा !
अउर मैडम जब टांग ही नहीं बचेगी तो ऊ ससुर कैसे अपन  टांग अड़ा पायेगा !"

सोनिया जी -
" आपके इस परस्ताव पर अगर राहुल भी हामी भर  देंगे !
तो समझ लो हम दोनों  का व्याह इसी साल मैं  कर देंगे !

मंगलवार, 25 मई 2010

ऐ मेरे लाल तुझे चोट तो नहीं आई ?


सुनो सुनाता हूँ मैं अपनी जुबानी
माँ कि ममता की सच्ची कहानी
किसी शहर मैं एक माँ और बेटे रहते थे !
माँ  के उस बेटे को प्यार से राजा-राजा कहते थे !
राजा बेटा अपनी माँ  की दोनों आँख का तारा था !
सारे शहर मैं सबसे सुन्दर माँ का राज दुलारा था !
माता  राजा  के  हर गम  को अमृत समझ कर पीती थी !
अपनी सारी खुशियाँ छोड़ बस राजा के लिए ही जीती थी !
समय का पहिया द्रुत गति से अपनी दिशा मैं बढ़ने लगा !
माँ के बेटे राजा पर भी धीरे-धीरे जवानी का रंग चढ़ने लगा !
राजा के जीवन मैं आते - आते १८ वाँ बसंत बहार लाया !
कितना बांका जवां हुआ वो अंग - अंग पर निखार आया !
एक दुश्चरित्र तवायफ की नज़र मैं राजा की जवानी चढ़ गई !
नादान राजा कुछ समझ न पाया कब उसकी आँखें लड़ गई !
तवायफ ने राजा और उसकी दौलत को  अपनी नज़र मैं धर लिया !
दिखाके के अपने हुस्न के जलवे राजा को अपने बस मैं कर लिया !
राजा को उस तवायफ के आगे कुछ नज़र नहीं आता था !
माँ के हाथ से खाना - पीना अब उसको नहीं भाता था !
माँ की ममता तड़प  उठी, मेरे लाल  को किसकी नज़र लग गई !
किसी तरह से एक दिन माँ को उस डायन के बुरे इरादों की भनक लग गई !
माँ ने लाल को बहुत मनाया, ये औरत तेरे काम न आएगी !
बेटा ये तेरी दौलत और तुझको बस नोच - नोच कर खाएगी !
पर बेटे को होश कहाँ था, उस पर हुस्न का जादू सवार था !
उस बैरन तवायफ के लिए वो कुछ भी करने को तैयार था !
आँखों पर  थी बदली छाई, माँ की शिक्षा समझ न आई !
अपने लाल को फंसते देखकर माँ की ममता रह न पाई !
एक दिन माँ  कोठे पर आई जहाँ पर थी वेह बैरन बाई !
मेरे लाल को छोड़ दे  डायन, माँ ने बड़ी फटकार लगाईं !
सबके आगे लज्जित हुई वेह ये अपमान वेह से न पाई !
मन ही मन मैं उस त्रिया ने माँ को हटाने की विधि लगाईं !
रात को जब राजा कोठे पर आया माँ की सारी बात बताई !
राजा की कुछ समझ न आया जब उस त्रिया ने चाल दिखाई !
उस त्रिया ने उस लाल से उसकी माँ की कटी गर्दन मंगवाई !
राजा   बोला  मैं ये   कैसे कर  सकता हूँ वो तो है मेरी जननी माई !
त्रिया बोली मैं अपनी जान दे दूँगी अगर मेरे पास वो गर्दन न आई !
त्रिया  ने भर   बाँहों  मैं राजा को उससे इस महापाप की हाँ भरवाई !
निकला लाल कोठे से घर को घर पहुँच कर माँ को आवाज़ लगाई !
सुनकर के आवाज़ अपने लाल की झट से माँ दरवाज़े पर आई !
देख लाल को चकित हुई माँ उस पर थी ख़ामोशी छाई !
लाल था उसका किस उलझन मैं भोली माँ कुछ समझ न पाई !
बिठा लाल को अपनी गोद मैं, पूछा तेरे मन मैं ऐसी  क्या मुश्किल है समाई !
स्नेह माता का देखा तो बह निकली जलधारा पर मुंह से कुछ आवाज़ न आई !
लाल के  मन मैं  छिड़ा  द्वन्द था प्यार को  पाऊँ तो खो दूंगा मैं अपनी माई !
माँ  बोली होगा लाल  मेरा भूखा तेरे लिए अभी मैं खाना लेकर आई !
बोला लाल माँ तू ही खिला दे, तेरे हाथों से मैंने कबसे रोटी न खाई !
चली गई माँ खाना लेने बेटे के प्यार मैं भाव - बिभोर होने लगी !
यहाँ लाल पर बेटे की जगह आशिक की दुष्टात्मा सवार होने लगी !
ठान  लिया मन मैं अपनी महबूबा को सदा के लिए अपनी कर लूँगा !
मौका पाते ही शीश माँ का एक बार मैं उसके धड से अलग कर दूंगा !
आई माँ खाना लेकर लाल को अपने हाथों से निवाला खिलाने लगी !
देख  प्यार  माँ  का यों बेटे की आत्मा उसका दिल धड्काने लगी !
मगर माँ के सच्चे प्यार पर महबूबा का झूठा प्यार सवार हुआ !
निकली बेटे की आत्मा लाल पर दुष्टात्मा का जूनून सवार हुआ !
बोला माँ मैं तुम्हे अंतिम बार एक कष्ट और दूंगा !
मुझे थोड़ी खीर दो मैं थोड़ी खीर और लूँगा !
ज्यों ही माँ ने खीर देने के लिए गर्दन झुकाई !
वैसे ही लाल की छुपी कटार ने अपनी धार दिखाई !
उस कलयुग के बेटे ने पल मैं ये जुलम कर दिया !
अपनी माता के शीश  को धड से कलम कर दिया !
माँ की कटी गर्दन लाल के आगे छटपटाने लगी !
जुनूनी बेटे की आँखों के आगे भी अंधियारी छाने लगी !
कुछ देर बाद बदहवास से उस लाल को होश आया !
लहू से लथपथ माँ का शीश अपने दोनों हाथों मैं उठाया !
भूल गया जुनूं मैं माँ को बस महबूबा का चेहरा याद आया !
उसके अन्दर का शैतान अभी भी पूरी तरह से जाग रहा था !
लेकर कटा शीश माँ का महबूबा के घर को सरपट भाग रहा था !
भागते - भागते अँधेरे मैं लाल ने एक पत्थर से ठोकर खाई !
गिरा हाथ से शीश छूटकर पर कटे शीश से भी माँ की आवाज़ ये आई !
ऐ मेरे लाल तुझे चोट तो नहीं आई ? ऐ मेरे लाल तुझे चोट तो नहीं आई ?
आवाज़ सुन माँ की धरती पर गिरा लाल  फिर हडबडाया !
मगर सम्भाल खुद को उठा शीश फिर कदम बढाया !
गिरता-पड़ता शीश लिए वेह कोठे के दर से टकराया !
निकली बाहर त्रिया उसे देख यों आँखों पर विश्वास न आया !
उसका प्रेमी उसकी खातिर अपनी जननी का शीश था लाया !
 देख सामने उसको अपनी आँखों को उसकी आँखों मैं गढ़ा दिया !
बड़ी शान से शीश माता का प्रेमिका के चरणों मैं चढ़ा दिया !
सोचा देख कटा शीश माँ का प्रेमिका बहुत खुश हो जाएगी !
प्यार से उसे गले लगाकर सदा के लिए उसकी हो जाएगी !
मगर प्रेमिका ने उसके अन्दर मरे बेटे की आत्मा को जगा दिया !
और दरवाज़ा बंद कर उस दुष्ट लाल को यह कहते हुए भगा दिया !
" अरे मैं तेरे साथ रहकर बो नहीं भोग सकती जो तेरी माँ ने भोगा !
अरे जो अपनी जन्म देने वाली माँ का न हुआ वो मेरा क्या होगा !"
लिए   शीश  अपनी  माँ का बेटा बापस अपने घर आया !
जिसके लिए कुर्बान किया माँ को उससे क्या धोखा खाया !
झूठा प्यार मिला धूल मैं माँ का सच्चा प्यार उसे  याद आया !
झर - झर आँखों से बहे आंसू अपने किये पर बड़ी लाज आई !
जिस कटार से काटा शीश माँ का बही कटार गर्दन पर चलाई !
चलते ही काम किया कटार ने लहू की धारा गर्दन से आई !
बहता देख लहू बेटे का घर के हर कोने से बस ये ही आवाज़ थी आई !
ऐ मेरे लाल तुझे चोट तो नहीं आई ? ऐ मेरे लाल तुझे चोट तो नहीं आई ?

शनिवार, 22 मई 2010

मेरे प्राचीन मोहल्ले कि आधुनिक बरात ( हास्य-व्यंग)

भारत मैं शादी का एक भारतीय के जीवन मैं बहुत महत्व है ! शादी से हमारा सम्बन्ध ऐसा है, जैसे पजामे और नाड़े का जैसे बिना नाड़े का पजामा पहनना संभव नहीं हैं, उसी प्रकार एक भारतीय पुरुष का शादी के बिना रहना संभव नहीं हैं ! लड़का जरा जवान हुआ नहीं कि लड़की वाले उसे ऐसे घेरने लगते हैं जैसे कटे फल को देखकर मक्खी! और अगर लड़का पढ़- लिखकर सरकारी नौकरी पर चढ़ जाये तो फिर तो मक्खियाँ उस पर ऐसे भिनभिनाती हैं जैसे किसी तृतीय श्रेणी नुक्कड़ हलवाई कि दुकान पर खुली रखी मिठाइयों पर मक्खियाँ भिनभिनाती हैं! ऐसी ही एक मिठाई मेरा मतलब है शादी योग्य लड़का है हमारे मोहल्ले के वर्मा जी का लड़का कल्लू! बैसे उसका असली नाम कल्लू नहीं कल्याण है ! मगर हम भारतीयों की एक और परंपरा है हम हर किसी को उसके गुणों को देखकर एक प्यार का नाम भी दे देते हैं ! और कल्याण पर भी मोहल्लेवासियों ने अपना प्यार उसका रंग देखकर कल्लू के रूप मैं उडेला ! खैर नाम को छोडिये नाम मैं क्या रखा है ! हम लौटकर आते हैं कल्लू की शादी पर कल्लू के पिताजी ने जैसे- तैसे जुगाड़ करके कल्लू को U.P. सरकार के समाज कल्याण बिभाग मैं चपरासी बनवा दिया, कल्लू के चपरासी बनते ही वर्मा समाज के लोग कल्लू के रिश्ते के लिए कल्लू के घर के चक्कर ऐसे लगाने लगे जैसे नगर-निगम के चुनाव मैं प्रत्याशी मतदाता के घर के चक्कर लगते हैं ! कल्लू की अम्मा भी अपने चपरासी बेटे की रोयल्टी खाने के चक्कर मैं लोगों को टाल देती थीं ! अम्मा चाहती थीं की उनके कल्लू की अच्छी कीमत उन्हें मिले ! कल्लू की हालत अम्मा ने IPL के खिलाडियों की तरह कर दी थी, जो भी कल्लू की सबसे ज्यादा बोली लगाएगा कल्लू उसी की टीम से खेलेगा ! खैर दिन गुजरे और कल्लू की बोली हमारे ही शहर झाँसी के छगनलाल वर्मा ने जीती ! छगनलाल वर्मा भी उ.प्र सरकार के सेल-टैक्स बिभाग मैं बाबू थे, और व्यापारिओं से सरकार से ज्यादा टैक्स खुद बसूलते थे, सो पैसों की उनके पास कोई कमी थी नहीं, हर अच्छे बाप की तरह वे भी अपनी बेटी को ख़ुशी देखना चाहते थे सो कल्लू को अपनी टीम मैं खिलाने, मतलब अपनी बेटी से शादी करने के लिए छगनलाल वर्मा ने दहेज़ मैं सारे सामान के साथ 5 लाख देने का वादा किया ! तो साहब १२ मई को कल्लू की शादी छगनलाल वर्मा की बेटी भूरी देवी से होनी तय हुई ! मोहल्ले के सब नौ जवान ऐसे खुश हुए जैसे पहली बरसात मैं मेढक खुश हो जाते हैं और टर्र-टर्र करने लगते हैं ! क्योंकि एक तो कल्लू जैसे मोहल्ले के फेमस लड़के की शादी वो भी अपने ही शहर मैं बारात मैं जाने मैं कोई बाधा भी नहीं ! खैर पूरा मोहल्ला कल्लू की शादी को लेकर ऐसे खुश था जैसे मनमोहन सिंह के शपथ समारोह मैं सोनिया जी के साथ सारे कांग्रेसी ! वर्माजी ने भी हमारे मोहल्ले की परम्परानुसार हर छोटे - बड़े को कल्लू की बारात मैं चलने का आमंत्रण दिया ! कहते हैं ख़ुशी के दिन बहुत तेज़ी से गुजरते हैं इस बात का एहसास हमें तब हुआ जब बरात का कार्यक्रम बनाते - बनाते १२ मई का दिन आ गया और हमारे कल्लू की बारात छगनलाल वर्मा के दरवाज़े मतलब विवाह घर के दरवाज़े जाने को तैयार थी ! मोहल्ले के सारे नौ जवान लेटेस्ट कपडे पहनकर नाचने के लिए तैयार थे ! मेरा लंगोटिया यार गुल्खाई भी मेरे पास आया और बोला यार क्या कर रहे हो, अभी तक तैयार नहीं हुए क्या? कल्लू की बारात मैं नहीं चलना क्या ? मैं बोला चलना है यार मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था, तुम 5 मिनिट रुको या फिर कल्लू के घर पहुँच कर उसके घर आई तितलियों के दर्शन करो मैं बही पहुचता हूँ ! गुल्खाई के बारे मैं बता दूं हम दोनों काफी करीबी यार हैं हम उम्र होने की बजह से एक दुसरे को अच्छी तरह समझते हैं ! मोहल्ले मैं जाने वाली किसी भी बारात मैं साथ ही जाते हैं ! खैर मैं अपने पास उपलब्ध सबसे अच्छे कपडे पहनकर मैं कल्लू के घर पहुँच गया, जहाँ बारात चलने की पूरी तैय्यारी हो चुकी थी, और मेरा यार गुल्खाई बेसब्री से मेरा इंतज़ार कर रहा था ! यार कितनी देर कर दी, बारात चलने वाली है ! बारात चलने वाली है मगर कल्लू तो कहीं नज़र नहीं आ रहा! अरे बो देखो कौन आ रहा है गुल्खाई ने इशारा करते हुए कहा ! मैंने देखा कल्लू सिर पर बड़ा सा टोपा लगाये, बगल मैं कटार लगाये पूरी तरह नई सज - धज के साथ अपने घर से निकल रहा है ! घर से निकलते ही बेन्ड मास्टर एक्शन मैं आ गया और बेन्ड मास्टर के एक्शन मैं आते ही पूरा मोहल्ला झाँसी के मशहूर जिया बेन्ड की करतल ध्वनि से गूँज उठा ! कल्लू बड़ी शान से घोड़ी की तरफ बड़ा और उस पर राणा प्रताप की तरह सवार हो गया ! बगल मैं लटकी कटार को उसने मैसूर के सुलतान टीपू सुलतान की तरह संभाला ! इसी के साथ कल्लू अपना काफिला लेकर शेहनाई- गार्डन की ओर बड़ा जहाँ छगनलाल वर्मा ने विवाह का कार्यक्रम रखा था ! बैंड पर पहला गाना बैंड मास्टर ने अपनी पसंद का " नगाड़ा - नगाड़ा - नगाड़ा बजा " बजाया गाना अपनी पसंद का इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि उसके बाद बैंड मास्टर को अपनी पसंद का गाना बजाने का मौका ही मिलने वाला नहीं था क्योंकि हमारे मोहल्ले के कुछ हुडदंग पसंद, दबंग किस्म के बाराती अंगूर की बेटी के चढ़ते ही उसको अपने कब्जे मैं करने वाले थे, उसके बाद बैंड मास्टर वही गीत बजाएगा जो ये बाराती चाहेंगे! खैर नगाड़ा - नगाड़ा - नगाड़ा बजा बजते ही कुछ डांसर आगे आये और टेस्ट क्रिकेट के ओपनर की तरह मजे से डांस की पारी शुरू की ! बारात धीमी गति से अपने गन्तव स्थान की ओर बढ़ रही थी ! धीरे - धीरे सारे हुडदंग पसंद, दबंग किस्म के बाराती अंगूर की बेटी चढ़ाकर डांस के मैदान मैं उतर आय! मैं समझ गया डांस का असली T -20 world - कप अब शुरू होने वाला है ! आते ही सबसे पहले उन्होंने हमेशा की तरह बैंड मास्टर को अपने पास बुलाया, और उसके कान मैं कुछ फुसफुसाया ! बैंड मास्टर ने तुरंत अपना हाथ घुमाया ! और बदमाश कम्पनी की पसंद का गाना बजाया ! गाना था, " तैनू घोड़ी किन्ने चढ़ाया भूतनी के, तैनू दूल्हा किन्ने बनाया भूतनी के" गाना बजते ही सारे ऐसे आढे- तिरछे हो - हो कर नाचने लगे जैसे आज डांस इंडिया डांस का ग्रांड फिनाले हो, और शो के जज मिथुन चक्रबर्ती इन्ही मैं से किसी एक को ट्राफी देने बाले हैं ! खैर " तैनू घोड़ी किन्ने चढ़ाया भूतनी के, तैनू दूल्हा किन्ने बनाया भूतनी के" गाना सुनते ही गुल्खाई बोला यार हमारे ज़माने मैं तो "आज मेरे यार की शादी हैं" बजता था ये कौन सा गाना बज रहा है ! अबे इस गाने का क्या मतलब है ! मैं बोला यार सीधा सा तो मतलब है, भूतनी का हुआ अपना कल्लू और भूतनी हुई कल्लू की अम्मा ! यार कल्लू की अम्मा सुनेंगी तो बुरा नहीं मानेंगी ? मैं बोला बिलकुल नहीं मानेंगी वो आगे देखो कल्लू की अम्मा इसी गाने पर अपने जीजा रामभजन के साथ शोले की बसंती की तरह कैसे ठुमके लगा रही हैं ! यार जब भूतनी मेरा मतलब है अम्मा को कोई आपत्ति नहीं है तो तू क्यों टेंसन लेता है ! इतने मैं ही बदमाश कम्पनी का एक बदमाश आया और मुझे और गुल्खाई को पकड़कर ले गया और नचा दिया ! और उन्होंने बारात मैं शामिल हर जाने - अनजाने बाराती को पकड़ - पकड़ के नचाया ! खैर नाचते - गाते बारात आगे बढ़ रही थी ! इस बीच कल्लू किसी पुतले की भांति यहाँ-वहां ताक रहा था, हालाँकि दुल्हे की पोस्ट पर होने की बजह से कल्लू इससे ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकता था ! क्योंकि बारात जाते वक़्त दूल्हा सबसे निरीह जीव होता है क्योंकि दूल्हा घोड़े पर राणा प्रताप की तरह सवार तो हो जाता है मगर ज्यों - ज्यों बारात आगे बढती है दुल्हे को तब पता चलता है कि घोड़े की सवारी कितनी कठिन होती है ! दूल्हा राश्ते भर यही सोचता रहता है कि घोडा कहीं बिचक न जाये ! खैर भगवान का नाम रटते - रटते सभी दुल्हे ठिकाने पर पहुँच ही जाते हैं, सो अपना कल्लू भी ठिकाने लग गया ! दरवाज़े की छटा देखते ही बनती थी! मंगल कलश लेकर नव- युवतियां कल्लू का स्वागत करने को तैयार थी! कुंवारियों मैं अपने नए जीजा जी के दर्शन की होड़ सी लगी थी ! यहाँ बदमाश कंपनी के अधिकतर डांसर डांस करते - करते लस्त पड़ चुके थे, परन्तु दरवाज़े पर एकत्र रंग - बिरंगी तितलियों को देखकर उनमे दोबारा एक नए जोश का संचार हो जाता है, और दुल्हे को ठिकाने लगाकर भागने की जुगाड़ कर रहे बैंड वालों को पकड़कर डांस का मल्ल युद्ध शुरू कर देते हैं ! मैं और गुल्खाई किनारा पकड़ विवाह - घर के अन्दर प्रविष्ट हो जाते हैं ! विवाह - घर के अन्दर का दृश्य बड़ा बड़ा भव्य था ! चारों और लोग ही लोग नज़र आ रहे थे ऐसा लग रहा था कि छगनलाल वर्मा ने सारे शहर को आमंत्रित किया हो ! इस बीच हमारा कल्लू भी विवाह - घर के अन्दर प्रविष्ट हो चूका था ! कल्लू को किसी V.I.P. की भांति सुरक्षा घेरे मैं लेकर कुछ लोग आगे बढे और विवाह - घर के बीचों-बीच बने मंच पर आसीन कर दिया ! पंडाल मैं लगी कुर्सियां धीरे - धीरे भरने लगी ! मैंने भी गुल्खाई के साथ जयमाला कार्यक्रम देखने के लिए centre corner की सीट पर आसन जमा लिया ! centre corner की सीट पर बैठकर जयमाला देखने का अपना एक अलग ही मजा है और फ़ायदा भी जो आपको थोड़ी देर मैं समझ मैं आएगा ! खैर थोड़े से इंतज़ार के बाद दुल्हन भूरी देवी अपनी सखी - सहेलियों, भाभियों - बहनों की टोली के साथ हाथ मैं वरमाला लिए दुल्हे कल्लू की ओर बढ़ी ! उसे देख कल्लू की धड़कन ऐसे बढ़ रही थी, जैसे किसी ज़माने मैं लिली, थामसन के हाथ मैं गेंद देखकर बिशन सिंह बेदी की बढ़ा करती थी ! खैर दुल्हन का काफिला हमारे करीब से गुजरा तब नाना प्रकार की खुशबुओं से हमारा अन्तरंग महक उठा ! मेरे एकदम करीब से गुजरी एक नव - योवना की पृष्ठभूमि पर नज़र पड़ी तो देखा उनका पृष्ठ भाग सेंसेक्स की भांति कभी ऊपर कभी नीचे हो रहा था ! और उसकी कमर तक आती छोटी इस उठते-गिरते सेंसेक्स का संकेत दे रही थी ! शायद अब आपको centre corner की सीट का महत्व समझ मैं आया हो ! वैसे हम दोनों मित्र काफी शरीफ हैं पर कुछ मामलों मैं शरीफ आदमी ही सबसे बदमाश होता है ! खैर जयमाला तक दुल्हन पहुँच गई और काफी खुशनुमा माहौल मैं दोनों ने एक दूसरे से वरमाला बदलकर अपने को हमेशा के लिए एक दूसरे के खूंटे से बाँध दिया ! दुल्हन की परिधान और चेहरे की डेंटिंग - पेंटिंग देखकर गुल्खाई बड़ा प्रभाबित हुआ, बोला यार दुल्हन की सजावट तो बहुत अच्छी की है ! मैं बोला उसका लहंगा देख रहे हो 5000 का है ! बोला यार ५००० का लहंगा खरीदने की आवश्यकता थी! मैं बोला अबे धीरे बोल ये लहंगे का दाम नहीं एक रात का किराया है ! दुल्हन की सजावट पर 10000/- का खर्च किया है ! गुल्खाई बोला यार इतने मैं तो हमारे ज़माने मैं पूरी शादी हो जाती थी, जितना दुल्हन ने किराये का सामान पहन रखा है ! खैर अब बर - बधू के साथ तस्वीरें खिंचवाने का सिलसिला शुरू हुआ जो काफी लम्बा चलने वाला था ! इस बीच हमारे पेट के अन्दर चूहों ने भांगड़ा शुरू कर दिया था, सो हमने तुरंत खाने की तरफ अपना रुख किया ! खाना भी आज का प्रचलित गिध्भोज मतलब buffe था ! मैंने और गुल्खाई ने प्लेट पकड़ी और खाने की पिच पर उतर आये बैटिंग करने के लिए ! शादी मैं खाने के इतने आईटम थे कि हम तय नहीं कर पा रहे थे कि शुरुआत कहाँ से करें खैर गुल्खाई कि इच्छानुसार हमने मसाला डोसे से शुरुआत करने का मन बनाया ! काउंटर पर पहुँच कर भीड़ देख कर पता चला कि मसाला डोसे कितनी प्रसिद्ध डिश है, विशेषकर महिलाओं और बच्चों मैं जिस पर वे टूटे पड़ रहे थे ! 4-५ प्रयास के बाद हम भी मसाला डोसा पाने मैं कामयाब हुए ! एक कोना पकड़कर हमने मसाला डोसा का मज़ा लेना शुरू किया तो शरीफ आदमियों के कानो का दुश्मन D.J. झनझना उठा " ओ ढोल jageera da " गुल्खाई के हाथों से प्लेट छूटते - छूटते बची गुस्से मैं मुझसे बोला यार D.J. वाले ये गाना क्यों बजाते हैं ? ये जगीरा कौन है ? मैं बोला यार ये जगीरा पंजाब का कोई ढोल बाला है शायद कहीं खो गया होगा ! इसलिए हर शादी मैं ये गाना बजाते इसे सुनके शायद जगीरा आ जाए ! तू टेंसन न ले यार मजे से खाना खा ! यार ये D.J. वाले सिर्फ पंजाबी गाने क्यों बजाते हैं ? अरे " गोरी को पल्लू लटके " " अंगना मैं आई हमार भौजी " क्यों नहीं बजाते ? इस बीच बदमाश कंपनी के डांसर D.J. Floor पर पहुँच गए और गाना बजा ब्राज़ील .... ब्राज़ील और सारे डांसर फिर D.J. Floor पर T-20 खेलने लगे ! गुल्खाई बोला यार ये D.J. तो पंजाब छोड़कर सीधे ब्राज़ील पहुँच ऐसा क्यों ? मैं बोला हमारे देश की नीति है, " बसुन्धरा कुटुम्ब्कुम" मतलब सारा विश्व हमारा परिवार है" खैर हमने धीरे - धीरे काफी आईटम निबटाये! यहाँ D .J के जुल्म से गरम गुल्खाई को ठंडा करने के लिए मैंने कहा चलो ice cream खिलाकर तुम्हें ठंडा करते हैं ! मगर ice cream counter का हाल इतना बुरा था कि ऐसा लग रहा था कि शरद पूर्णिमा के दिन कोई धनवान निर्धनों को धन बाँट रहा हो, बस कपड़ों का फर्क था ! खैर कई प्रयासों के बाद भी मैं ice cream नहीं पा सका ! तभी मैंने देखा सेंसेक्स भाभी Ice cream की katori लिए ice cream खा रही थी, उन्हें खाते देख हम लोगों की Ice cream खाने की तलब स्वत समाप्त हो गई ! गुल्खाई बोला यार पहले के ज़माने मैं बारातियों को मना मना कर खिलाते थे आजकल मांगे से नहीं दे रहे ! मैंने कहा यार जो मिल गया सो खाओ Ice cream न मिलने की कसक भुलाओ ! आओ विदा होने वाली है ! हमारे यहाँ बुंदेलखंड मैं विदा के समय गाते हुए रोने की परंपरा है ! और ये परंपरा दुल्हन की माँ ने बड़ी अच्छी तरह से निभाई " ओ मोरी मैदा की लोई को कौआ ले गओ " की दहाड़ सुनकर गुल्खाई बोला यार इसका क्या मतलब हुआ ! मैं बोला यार इसका कहने का मतलब है कौआ रूपी अपना कल्लू इसकी मैदा रूपी भूरी देवी को ले जा रहा है ! खैर माँ के बिलाप के बाद विदा होकर दुल्हन ससुराल आई और मोहल्लेवासियों ने खुले मन से उसका स्वागत किया ! उसके २ वर्ष बाद कल्लू के भाई लल्लू की शादी हुई, उसकी कहानी इस कहानी के हिट होने के बाद ....................................

धोनी के धुरंधरों को लालू जी कि सलाह (हास्य -व्यंग )

धोनी   के  धुरंधरों ने टी-२०  विश्वकप  मैं  भारत  कि   ऐसी   नाक  कटाई !
कि  सारे  क्रिकेट जगत मैं हो रही  है आज हमारी टीम कि जग हंसाई !
जब धोनी से पत्रकारों ने हार के कारण पूछे तो धोनी ने यों दी सफाई !
भई हमारे धुरंधरों ने तो मैदान पर अपनी पूरी दम लगाई !
मगर चूँकि  हमारी  टीम थी आई.पी.एल कि थकी - थकाई !
इसलिए टी-२० विश्वकप मैं कुछ खास प्रदर्शन न कर पाई !
धोनी कि यही बात जब किसी पत्रकार ने लालूजी को बताई !
तो  लालूजी  ने  तुरंताही धोनी के बयान से असहमति जताई !

पत्रकार - लालूजी धोनी के बयान पर आप का क्या कहना है ?


लालूजी - हट बुडबक
" धोनी जो  है  पहिले  हम्मार  भैंसिया  का  दूध  पीता  था  जिसमें  होती  थी बहुत्तेही  गाढ़ी  मलाई !
 अब धोनी नितीश  कि भैंसिया का दूध पी रहा है जिससे  नहीं कर पा रहा है बोलरों कि पिटाई !
अरे आई.पी.एल पर काहे तोहमत लगाईं सुरेश रैना भी तो आई.पी.एल  मैं था धोनी भाई !
ऊ ससुर काहे कर रहा था गेंदबाजों कि ठुकाई ऊने तो आई.पी.एल मैं भी बैटिंग दिखाई !
फालतू  का बात न करो बस अपनी गलती मानो कि हमने जीतने मैं झींक नहीं लगाईं !"

पत्रकार - लालूजी युवराजसिंह के बारे मैं क्या कहना चाहेंगे ?
लालूजी -
" ऊ ससुरे  को तो हम कहेंगे कि एक ले ले तेल कि शीशी एक ले ले चटाई !
 अउर लिटाके ऊ पर अपनी गर्ल फ्रेंडों को  दिनभर उनकी मालिश करे भाई !
अउर ओक्राकी मालिश करके जौन थक जाबे तो अपना ऊ ही चटाई बिछाई !
अउर अपने टीम के अपना जूनिएर  चेला चपाटों से अपनी --------------------!
अरे बुडबक आप कछु अउर तो नहीं समझे मतलब अपनी भी मालिश करवाई !
बैसे हम्मार बोलने का  कुछ मर्यादा है बरना आप जो समझे  ऊ भी बोल देते भाई !"

पत्रकार - लालूजी आशीष नेहरा के बारे मैं क्या कहेंगे सुना है हारने के बाद उन्होंने पब मैं मारपीट की!
लालूजी -
" ओक्राकी  तो हम करा देते हैं ऊ कौन है महाबली खली से WWF का लड़ाई !
महाबली खली जब करेगा ओक्राकी ठुकाई  तब समझ मैं आई का होती है पिटाई !
अरे जरा ससुरा कि देखिये तो बेहयाई पहिले तो टीम की  नैय्या दे  डुबाई !
फिर जाके मस्ती मा नाच रहा था भाई, लड़ाई मैं अपना बुस्शर्ट भी फटाई !
अरे  आशीष नेहरा अपना नहीं तो कम से कम देश का लिहाज़ ता करो भाई !"

पत्रकार - लालूजी चयनकर्ताओं के चयन के बारे मैं क्या कहना चाहेंगे ?

लालूजी -
"ओक्राके के बारे मैं अब हम का कहें पत्रकार भाई !
ओक्राके बारे मैं यही कहेंगे जो गब्बर ने बात बताई !
सुनो  श्रीकांतजी  ने ------------------ की फ़ौज बनाई !"

गुरुवार, 20 मई 2010

सानिया मिर्ज़ा की शादी

हमें क्या पता था की पाकिस्तान मैं तुम्हारे सनम थे  !

अरे  सानिया जी बरना हमारे देश मैं दुल्हे क्या कम थे  !
यदि क्रिक्केटर ही पसंद थे  तो युसूफ पठान थे  जिसमें छक्के लगाने का दम था  !
फ़िल्मी हीरो पसंद थे  तो सलमान खान था  अरे भई उसमे तो दस का दम था  !
चोकलेटी क्रिक्केटर पसंद है तो इरफ़ान पठान था  !
तेज तर्रार पसंद हैं तो फिर अचूक जहीर खान था  !
सानिया जी भारत मैं ही आपका सही सम्मान था  !
देशवासियों का दिल न तोड़ो बस यही अरमान था  !
अरे सानियाजी भारत देश से ही आपकी पहचान है !
न मानी  तो भी दे रहे  हैं  सब दुआएं आपको !
हमारा यह  भारतवर्ष सचमुच कितना महान है !