HASYA-VYANG

HANSO HANSAO

KHOON BADHAO

बुधवार, 19 मई 2010

माँ का क़र्ज़

जब मैंने ऑंखें खोलीं माँ खुद को तेरी गोद मैं पाया !

तुझको देकर कष्ट बड़ा माँ मैंने अपना जीवन पाया !
जब भी मुझको भूख लगी माँ तूने अपना दूध पिलाया !
खुद गीले मैं तू सोई माँ मुझको सूखे मैं ही सुलाया !
जब भी मुझको नींद न आई तूने प्यारा गीत सुनाया !
तेरी ऊँगली थाम के मैय्या मैंने पहला कदम बढाया !
तूने मुझको थाम लिया माँ जब भी मैं थोडा लडखडाया !
दुनिया जलती धूप है मैय्या तू है, शीतल, निर्मल छाया !
जब मैं थोडा बड़ा हुआ माँ तूने मुझको ज्ञान दिलाया !
जीवन की हर मुश्किल से माँ तूने मुझको लड़ना सिखलाया !
जब मैं थोडा जवां हुआ माँ तूने मेरा व्याह रचाया !
तूने मुझको बही दिया माँ जो भी मेरे मन को भाया !
न ढूंढो भगवान कहीं भी माँ मैं ही भगवान का साया !
क्यों मैं जाऊ मथुरा-काशी माँ के चरणों मैं तिर्लोक समाया !
जन्मों तक न उतर सकेगा माँ तूने ऐसा क़र्ज़ चढ़ाया !
तूने कितने काम किये माँ मैं तेरे कुछ काम न आया !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें