सुनो सुनाता हूँ एक कहानी मुझको मेरे दादा कहते थे !
एक गाँव मैं सज्जनसिंह और दुर्जनसिंह दो दुश्मन रहते थे !
एक दूजे को दोनों फूटी आँख नहीं सुहाते थे !
एक दूजे के सामने पड़कर दोनों ही गुर्राते थे !
सज्जनसिंह का बेटा प्रेम उसकी आँख का तारा था !
बेटा उसका सबका प्यारा सबका राज दुलारा था !
दुर्जनसिंह की बेटी डिम्पल उसकी राजकुमारी थी !
सारी दुनिया इस अप्सरा के रूप-रंग पर बारी थी !
पता नहीं दोनों की ऑंखें आपस मैं कब मिल गई !
दोनों के दिल मैं प्यार की कलियाँ कब खिल गई !
लोग कहते हैं कितना ही छुपाओ प्यार छुपता नहीं !
दोनों ने मिलकर पिक्चर देखी प्यार झुकता नहीं !
फिल्म देखकर दोनों ने ठाना हम भी झुकेंगे नहीं !
हम दो प्रेमी प्यार के पंछी कहीं भी रुकेंगे नहीं !
सज्जन सिंह बोला बेटा तूने सही लड़की को पटाया है !
मेरा जानी दुश्मन दुर्जनसिंह अब मेरे बस मैं आया है !
मैं कल ही तेरा रिश्ता लेकर दुश्मन के घर जाऊंगा !
उस जिद्दी-हठी दुर्जनसिंह को अपने आगे झुकाउंगा !
वहां दुर्जनसिंह ने डिम्पल को अपने पास बुलाया !
बड़े प्यार से बेटी डिम्पल को बहलाया -फुसलाया !
मगर प्रेम के प्रेम मैं मग्न डिम्पल को न मना पाया !
डिम्पल ने कहा शादी न हुई तो अपने प्राण दे दूँगी !
किसी दरिया मैं डूबकर अपनी जान दे दूँगी !
अपनी जिद से राजकुमारी डिम्पल ने हाँ करवाई !
यहाँ दुर्जनसिंह को शादी रुकवाने की एक तरकीब आई !
अगले दिन सज्जनसिंह प्रेम का रिश्ता लेकर दुश्मन के घर आया !
दुर्जनसिंह ने भारी मन से दुश्मन को अपने स्वागत कक्ष मैं बिठाया !
दुर्जनसिंह बोला मुझे अपनी बेटी की ख़ुशी की खातिर ये रस्म निभानी पड़ेगी !
मगर सज्जनसिंह तुम्हारे बेटे को शादी के लिए हमारी कुछ शर्तें माननी पड़ेंगी !
सज्जनसिंह बोला अपने प्यार के लिए मेरा बेटा सारी शर्तें निभाएगा !
दुर्जनसिंह मेरा बेटा दिलवाला है तुम्हारे घर से दुल्हनिया ले जायेगा !
दुर्जनसिंह बोला तुम्हारा बेटा मेरी पहली ये शर्त निभाएगा !
सारे बाराती जवान होंगे कोई बुड्ढा बारात मैं नहीं आएगा !
यदि कोई बुड्ढा बारात मैं आया तो मैं हालत का रुख मोड़ दूंगा !
यदि मेरी कोई भी शर्त तोड़ी तो मैं ये शादी उसी वक़्त तोड़ दूंगा !
सज्जनसिंह बोला मेरे बेटे के दिल मैं डिम्पल के लिए सच्चा प्यार है !
और अपने सच्चे प्यार के लिए मेरा बेटा हर शर्त मानने को तैयार है !
लेकिन बारात बाले दिन प्रेम के दादा मर्दनसिंह जिद पकड़ गए !
और पोते की बारात मैं जाने के लिए पहाड़ की तरह अड़ गए !
प्रेम बोला दादाजी मान जाओ क्या मेरे उलटे फेरे पदवाओगे !
दुर्जनसिंह ने आपको देख लिया तो आप मेरी शादी तुडवाओगे !
मर्दनसिंह बोला बेटा कोई गहरी चाल चलके वो तुम्हारी शादी रुकवाएगा !
मगर ऐसे मैं तुम्हारे बुड्ढे दादाजी का अनुभव तुम्हारे बड़े काम आयेगा !
और तुम फिक्र न करो वो शातिर दुर्जनसिंह मुझे कभी नहीं देख पायेगा !
क्योंकि तुम्हारा दादा मर्दनसिंह सामने नहीं एक बक्से मैं छुपकर जायेगा !
खैर बारात मैं शर्तानुसार १०० एक दम जवान बाराती पहुँच गए !
और लोहे के बक्से मैं बूढ़े दादाजी मर्दनसिंह भी पहुँच गए !
इधर दरवाज़े पर बारात देखकर दुर्जनसिंह ने शैतानी जुगत लगाई !
शादी रुकवाने के लिए उसके दिमाग मैं एक शैतानी तरकीब आई !
तरकीब आते ही उसने शादी करने के लिए अपनी दूसरी शर्त बताई !
दुर्जनसिंह बोला मेरी दूसरी शर्तानुसार ये विवाह तभी हो पायेगा !
जब हर एक बाराती खाने मैं पूरा एक बकरा अकेले ही खायेगा !
यदि एक भी बाराती की थाली मैं जरा सा भी बकरा छूट जायेगा !
तो समझ लो प्रेम और डिम्पल का ये विवाह वहीँ टूट जायेगा !
दुर्जनसिंह की शर्त सुनकर जवान बारातियों मैं हलचल मच गई !
दुर्जनसिंह को लगा शादी रुकवाने की ये तरकीब काम कर गई !
प्रेम ने कहा हमें थोडा वक़्त दो हम सोच कर आपको बताते हैं !
हमें सोचना होगा की हम आपकी ये शर्त कैसे पूरी कर पाते हैं !
दुर्जनसिंह की ये शर्त बारातियों मैं खलबली मचाने लगी !
प्रेम के प्रेम की नैय्या भंवर मैं गुडगुड गोते खाने लगी !
बंद कमरे मैं जवानों मैं हलचल मची थी ये शर्त कैसे पूरी हो पायेगी !
शर्त पूरी न हुई तो प्रेम की नैय्या राम के भरोसे कैसे पार हो पायेगी !
तभी बक्से मैं बंद दादाजी की आवाज़ आई अबे मुझे कोई बहार निकालो!
आखिर क्यों इतने बैचेन हो जरा मेरे सामने पूरे माजरे पर प्रकाश डालो !
जवानों ने बुड्ढे मर्दनसिंह को डरते-डरते बहार निकाला !
और बताया दादा को कि दुर्जन ने क्या षड़यंत्र रच डाला !
बुड्ढे दादाजी बोले आज दुर्जनसिंह के कोई षड़यंत्र काम न आयेंगे !
आये हम बाराती बारात लेकर तो दुल्हन कि डोली लेकर ही जायेंगे !
सुनो जवानों अब मैं तुम्हे अपने अनुभव का कमाल दिखाता हूँ !
दुर्जनसिंह कि शैतानी चाल का तोड़ तुम सबको बताता हूँ !
दादा मर्दनसिंह ने पोते प्रेम कान मैं ज्यों ही अपनी तरकीब बताई !
प्रेम कि गुडगुड गोते खाती नैय्या को फिर से माझी मिल गया भाई !
प्रेम ने दुर्जनसिंह से कहा हमारा हर बाराती खाने मैं एक बकरा खायेगा !
मगर शर्त ये है कि एक बार मैं १०० बारातियों को एक बकरा परसा जायेगा !
खाना शुरू हुआ शर्तानुसार एक बार मैं एक बकरा पकाया जाता था !
और १०० बारातियों के बीच मैं सबको एक -एक टुकड़ा मिल पाता था !
जब तक दुर्जनसिंह का दूसरा बकरा कढाई मैं पक पाता था !
तब तक बरातियो का पहला टुकड़ा आसानी से पच जाता था !
देखते ही दुर्जनसिंह के हलवाई पूरे १०० बकरे पका गए !
और मर्दनसिंह के १०० बाराती पूरे १०० बकरे पचा गए !
दुर्जनसिंह कि शादी रुकवाने कि ये आखिरी तरकीब भी बेकार हो गई !
दादा मर्दनसिंह के अनुभव से पोते प्रेम और डिम्पल कि नैय्या पार हो गई !
किसी ने सच ही कहा है जवानी का जोश हर जगह काम नहीं आता है !
बुड्ढे हर जगह जरुरी हैं , बुड्ढों का जिन्दगी भर का अनुभव काम आता है !
HASYA-VYANG
HANSO HANSAO
KHOON BADHAO
KHOON BADHAO
बुधवार, 19 मई 2010
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