HASYA-VYANG

HANSO HANSAO

KHOON BADHAO

मंगलवार, 18 मई 2010

मृत्यु का समय ही नहीं स्थान भी निश्चित है !









एक बार की बात है एक तोता और एक बाज़ आपस मैं यार थे !
अपनी दोस्ती के  लिए  एक-दूजे  के लिए मरने को तैयार थे!
दोनों रोज़ सुबह     आसमान की सैर को जाया करते थे !
और शोले का ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे गाया करते थे !
बाज़ और तोते की दोस्ती देखकर उनके दुश्मन उनसे जलते थे !
मन ही मन उनसे कुढ़ते और दुश्मनी तोड़ने की चाल चलते थे !
मगर तोता और बाज़ किसी भी तरह उनकी चाल मैं न आते थे !
अमित और शत्रु का सलामत रहे दोस्ताना हमारा गुनगुनाते थे !
मगर एक दिन तोते और बाज़ की दोस्ती को दुश्मनों की नज़र लग गई !
सुबह की सैर करते वक़्त तोते के पंखों मैं पेड़ से टकराकर चोट लग गई !
तोता पेड़ से टकराकर जमीन पर आ गया !
उसे देख उसके मित्र बाज़ का जी घबरा गया !
अपने मित्र को लेकर बाज़ उसके घोंसले मैं आ गया !
बाज़ अपने मित्र की दिन रात मन से सेवा करने लगा !
उसका मित्र फिर से उड़ने लगे प्रभु से दुआ करने लगा!
एक सुबह बाज़ ने देखा उसके मित्र तोते का चेहरा मुरझाया था !
उसका मित्र मन - ही - मन बहुत ज्यादा घबराया था !
बाज़ ने पूछा मित्र मेरी सेवा मैं क्या कमी रह गई बताओ ?
बरना मुझे अपनी चिंता का कारण सच - सच बताओ !
तोता बोला नहीं मित्र तुमने तो अपनी दोस्ती का क़र्ज़ चुका दिया !
किन्तु रात आये एक सपने ने अन्दर से मुझे डरा दिया !
मेरे दोस्त अब मैं तुम्हे अंतिम अलविदा करने वाला हूँ !
सपने मैं मैंने देखा की आज मैं मरने वाला हूँ !
बाज़ ने समझाया मित्र तुम्हारा दिल बेकार ही रोता है !
सपने पे न जाओ सपना तो आखिर सपना होता है !
नहीं मित्र मेरा मन ऐसे ही व्यर्थ मैं नहीं रोता है !
क्योंकि मेरा देखा सपना कभी झूठ नहीं होता है !
मेरा सपना उतना ही सच है जितना तेरा मेरा याराना है !
मगर आज ये याराना तोड़कर मुझे दुनिया से जाना है !
मित्र की बात सुनकर बाज़ का दिल भर आया !
अपने मित्र को बचाने का उपाय मन मैं आया !
बोला मित्र मैं तेरी खातिर मौत से लड़ भी लड़ जाऊंगा !
अपने प्राण देकर भी मैं तेरे प्राण बचाऊंगा !
हम दोनों उड़कर के किसी ऐसी जगह पर जायेंगे !
तेरे प्राण हरने को जहाँ यमराज भी पहुँच न पाएंगे !
तोता बोला नहीं मित्र मैं अब नहीं बच पाउँगा !
मेरे पंख तो टूटे हैं मैं तुम्हारे साथ कैसे उड़ पाउँगा !
फिक्र न करो मित्र फिर मैं किस दिन काम आऊंगा !
तुम मेरी पीठ पर बैठो मैं तुम्हे उड़ाकर ले जाऊंगा !
मित्र का ये विश्वास तोते को भी विश्वास दे गया !
अपने मित्र को पीठ पर बिठा बाज़ उड़ा ले गया !
उड़ते - उड़ते बाज़ के शरीर पर थकान छा गई !
बाज़ ने देखा सामने हिमालय की छोटी आ गई !
बाज़ ने भी अपना सफ़र वहीँ रुका दिया !
मित्र तोते को छोटी के पीछे छिपा दिया !
बोला मित्र अब तुम्हारे प्राण बच जायेंगे !
मृत्यु के दाता यमराज हमें ढूंढ न पायेंगे !
लेकिन ये क्या जब दोनों मित्र अपनी जीत का जश्न मना रहे थे !
तभी भैंसे पर सवार यमराज मुस्कुराते उनकी ओर चले आ रहे थे !
उन्हें देख दोनों मित्र मौत के भय से कांपने लगे !
विस्मित हो मुस्कुराते यमराज का मुंह ताकने लगे !
बाज़ ने कहा यमराज जी मेरे मित्र के प्राण मत ले जाइये !
आप मुस्कुरा क्यों रहे हैं पहले इसका रहस्य बताइए !

यमराज बोले

तुम्हारे मित्र की मौत हिमालय पर लिखी थी ये मुझे ध्यान था !
मगर वो यहाँ तक पहुंचे कैसे इसके लिए मैं बड़ा परेशान था !
क्योंकि मौत का समय और स्थान टल नहीं सकता था !
मगर तुम्हारा मित्र घायल था यहाँ तक उड़ नहीं सकता था !
मगर तुमने इसे यहाँ लाकर मेरी समस्या का निदान कर दिया !
तुम्हे धन्यबाद देता हूँ कि काम तुमने इतना महान कर दिया !
यमराज की बातें सुनकर बाज़ अपना धैर्य खोने लगा !
मैं ही अपने मित्र की मौत का कारण बना यह कहकर रोने लगा !
यह सुनकर तोता बोला नहीं मित्र तुमने तो सिर्फ अपना फ़र्ज़ निभाया है !
मगर मुझे यहाँ तक तो मेरा मृत्यु का स्थान ही खींच के लाया है !
यमराज बोले ये जो कह रहा है वो बिलकुल सत है !
मृत्यु का समय ही नहीं मृत्यु का स्थान भी निश्चित है !
बाज़ ने अंतिम बार मित्र को गले लगाया क्योंकि
उसका मित्र उसे छोड़ सदा के लिए उसे दूर जा रहा था !
ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे गाने वाला आज ये गीत गा रहा था !
" जिन्दगी तो बेवफा है, एक दिन ठुकराएगी !
मौत महबूबा है अपने साथ लेकर जाएगी !"

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