HASYA-VYANG

HANSO HANSAO

KHOON BADHAO

बुधवार, 2 जून 2010

पति बेचारे धारावाहिकों के मारे !

आजकल भारतीय नारियों को एक बहुत ही गंभीर बुखार  ने जकड रखा है, और वो बुखार है टी.वी. पर प्रसारित होनेवाले धारावाहिकों का ! और पत्नियों पर चढ़े इस बुखार की चपेट मैं अप्रत्यक्ष रूप से पति भी शिकार हो रहे हैं ! पति बेचारा दिनभर का थका - मांदा ऑफिस से घर आता है, और अपना दिमाग फ्रेश करने के लिए जैसे ही टी.वी   का रिमोट अपने हाथ मैं थामकर अपनी नाजुक उँगलियों से उसे चलाता है, वैसे ही पत्नी की कर्कश आवाज़ आती है, सुनो बही चैनल लगा रहने दो आज बालिका बधू मैं आनंदी मरने वाली है !   पति बोला अरे डार्लिंग आज इंडिया का ऑस्ट्रेलिया से मैच है, और मैं वो मैच देखना चाहता हूँ ! पत्नी बोली अरे ऐसा मैच देखने से क्या फ़ायदा जिसका नतीजा पहले से ही मालूम हो, अरे तुम्हारे मुंये खिलाडी कभी ऑस्ट्रेलिया से जीते हैं जो आज जीतेंगे ! पत्नी ने पति की गुस्सा पूरी की पूरी भारतीय क्रिकेट टीम पर निकाल दी ! पति बेचारा मन - मसोस के एक कोने मैं बैठ गया ! पत्नी अपना धारावाहिक देखने मैं मगन हो गई ! थोड़ी देर बाद पति ने कहा अरे भई मुझे बहुत भूख लगी है, खाने की क्या व्यवस्था है ? पत्नी ने घूरकर पति को ऐसे देखा जैसे एल बी डव्लू आउट होने के बाद बल्लेबाज़ umpire को घूरता है, बोली यहाँ बेचारी आनंदी की जान जा रही है, और तुम्हे निर्मोही भूख सता रही है ! थोड़ी देर और सबर करो एपिसोड ख़तम होते ही खाना बनती हूँ ! पति बोला डार्लिंग यही हाल रहा तो आनंदी की जान जाये न जाये मेरे प्राण भूख से अवश्य निकल जायेंगे ! इस बीच उनका बच्चा आ गया, वो भी जिद पकड़ गया बोला मम्मी मुझे रिमोट दो मुझे कार्टून देखना है ! मम्मी बोली जा बेटे अपने पापा को देख ले ! बेटा बोला नहीं मम्मी मुझे नया कार्टून देखना है मैं पुराना कार्टून देखते - देखते बोर हो गया हूँ ! पति बेचारा सहमी आवाज़ मैं बोला बेटा दो दिन बाद तेरे नाना और मामा आने वाले हैं तब नए कार्टून देख लेना ! तभी धारावाहिक मैं ब्रेक हो गया, पति ने एक बार फिर डरते - डरते रिमोट उठाया और मैच का ताज़ा हाल जानने के लिए खेल चैनल लगाया ! पता चला भारत ६ रन से  मैच हार गया ! पति ने भारत की इस हार पर अफ़सोस जताया, बोला डार्लिंग आज बस ६ रन से भारत पीछे रह गया बरना आज हम उन्हें हरा ही देते, तुम्हारे धारावाहिक की बजह से इतना इंट्रेस्टिंग मैच चूक गया  ! पत्नी ने व्यंग किया हाँ जैसे अगर तुम मैच देख रहे होते तो अंतिम गेंद पर छक्का मार कर जितवा ही देते ! और पत्नी ने पति के हाथ से रिमोट लगभग झपटते हुए, फिर से चैनल बदल दिया ! पति बेचारा फिर से मन मसोस के बैठ गया !

मुझे लगता है, आज उस जैसा हमारे देश मैं कोई एक पति नहीं हैं, बल्कि आज लगभग हर शरीफ पति की यहाँ हालत है ! मैं भी जब कभी इन धारावाहिकों का मज्बूरीबश अवलोकन करता हूँ, तो मेरे दिमाग मैं इन धारावाहिकों से सम्बंधित कुश यक्ष प्रश्न दिवाली के पटाखों की तरह फटते रहते हैं ! जैसे प्रश्न नंबर एक कहते हैं भारत मैं नारियों की स्तिथि आज भी ज्यादा अच्छी नहीं हैं, और हमारे कवि बिरादरी के कुछ कवि अपनी कविताओं मैं आज भी भारतीय नारी को अबला के रूप मैं दर्ज करते हैं,  क्या इन धारावाहिकों की नायिकाओं काम खलनायिकाओं को देख कर ऐसा लगता है की ये अबलायें हैं ? वे अपने पतियों पर ऐसे हावी रहती हैं, जैसे निचले क्रम के बल्लेबाजों पर तेज गति के गेंदबाज़ रहते हैं !
प्रश्न नंबर २ कहते हैं भारतीय संस्कृति पुरुष प्रधान है, और वे आज भी नारियों को अपने बरावर का दर्ज़ा देने को तैयार नहीं, जरा इन धारावाहिकों के नायकों को देखिये ये कहीं से भी दमनकारी लगते हैं, उनकी हालत हमेशा ऐसी रहती है जैसे सोनिया गांधीजी के सामने मन मोहन सिंह जी की रहती है ! तीसरा प्रश्न जो मुझे अक्षर परेशान करता है जब कभी भी इन धारावाहिकों मैं पैसे का लेन - देन होता है तो हजारों लाखों नहीं बल्कि हजारों करोड़ों मैं होता है, मेरी आज तक समझ मैं नहीं आता की ई ससुर नायक दिन भर तो घर मैं अपनी बीबियों की डांट सुनते हैं फिर ई ससुर ऐसा कौन सा व्यापार करते हैं जिसमें सीधे १००० करोड़ कमा लेते हैं ! चौथा प्रश्न जो मेरे दिमाग मैं सचिन तेंदुलकर के स्ट्रेट drive की तरह लगता है वो ये की जितने जवान - जवान इन धारावाहिकों मैं बच्चे होते हैं, उनसे जवान - जवान उनकी माएं होती हैं, अगर मैं गब्बर के स्टाइल मैं कहूं तो ई  धारावाहिक वाले अपनी नायिकाओं को कौन चक्की का पिसा आटा खिलाते हैं, जरा दारियों के हाथ पाँव तो देखो ऐसा लगता है मुर्गे की टांगो को सजा कर रखा है, जब भूख लगे खा जाओ !  अगला प्रश्न मेरे दिमाग मैं मरे हुए माइकल jeckson  की भांति नित नृत्य करता है की यार ये एकता कपूर मरे हुए इंसानों को जिन्दा कैसे कर लेती है ? हालाँकि इस प्रश्न का उत्तर मरे jeckson की भांति मरा हुआ ही है,  की अगर मरा हुआ व्यक्ति जिन्दा होता तो अमेरिकेन मरे हुए jeckson को फिर से जिन्दा नहीं कर लेता? प्रश्न तो अभी बहुत से हैं जो मेरे मन मैं भांगड़ा कर रहे हैं, मगर और प्रश्न फिर कभी !

अब मैं विवेचना करता हूँ कि इस धरवाहिकी संस्कृति ने हमें दिया क्या है? तो मैं पाता हूँ हूँ कि इन धारावाहिकों ने चलो कुछ दिया तो सही अब आप जानने के लिए उत्सुक होंगे कि आखिर ऐसा क्या दिया जिसकी चर्चा की जाये, तो मैं बताता हूँ न आपको इन धारावाहिकों ने हमें हमारे नीरस पड़ते रिश्तों के नामों को कई  bairaities उपलब्ध करवाई हैं, जैसे पहले हम कहते थे जीजाजी, अब इस जीजाजी मैं इन धारावाहिकों ने अलग-अलग फ्लेवर पेश किये हैं जैसे जीजू , जीज, जुज आदि ! अब अपने टेस्ट के हिसाब से सेलेक्ट कर सकते हैं आप क्या कहना पसंद करते हैं ! बड़ी बहिन की भी इन्होने काफी अच्छी रेंज पेश की है, पहले हम कहते थे जीजी , दीदी अब उन्होंने समय की कमी को देखते हुए उसे कर दिया जी , दी आदि ! माँ को मोम पापा को पॉप कर दिया है ! दादी को दीदा कर दिया है  मतलब इतनी लोच पैदा कर दी है रिश्तों के नामों मैं कि आप उन्हें अपनी सुबिधानुसार इस्तेमाल कर सकते हैं !

आजकल हमारे समाज को धारावाहिक एक और चीज़ सप्लाई कर रहे हैं ! वो हैं हमारे बच्चों के नाम पहले हम नाम रखते थे रामप्यारे , रामदुलारे, अब अगर बच्चों के ऐसे नाम रख दो तो वो पैदा होते ही माँ - बाप से रिश्ता तोड़ डाले ! आजकल सारे नाम   धारावाहिकों से उठाये जा रहे हैं ! मैं एक दिन अभी अपने मित्र के घर पहुंचा मेरी भाभी जी ने बड़े प्यार से अपने बेटे को बुलाया बेटे आदि अंकल को नमस्ते करो ! मैंने मित्र से पूछा यार अपने बेटे का ये क्या नाम रख दिया आदि कुछ आधा- अधूरा सा नहीं लग रहा ? मेरा मित्र बोला यार तू सही कह रहा है ५ साल पहले जब इसका जनम हुआ था तब मैंने इसका नाम आदित्य देव रखा था, मगर न जाने मेरी पत्नी ने किसी धारावाहिक मैं ये नाम देख लिया आदि उसे पसंद आ गया, बोली ये मोडर्न नाम है रख लें, मेरी क्या हिम्मत मैं मना करता सो इसका नाम आदित्य से आदि हो गया ! इतने मैं ही उसकी बेटी हमारे बीच उपस्तिथ हुई, मेरा मित्र बोला बेटा तानी अंकल के लिए जरा ठंडा पानी लाओ ! मैं बोला यार ये क्या नाम हुआ भला तानी ! मेरा मित्र फिर अपने धरवाहिकी जखम दिखाते हुए बोला यार ये भी किसी धारावाहिक की देन है ! वैसे इसका नाम तनु है मगर इसकी माँ इसे प्यार से तानी बुलाती है ! मेरे एक पडोसी हैं उनके यहाँ लड़का हुआ अच्छे पडोसी होने के नाते मैं भी खुश हुआ और उसी ख़ुशी मैं मैंने उनसे पूछ लिया यार अपने बेटे का नाम क्या रखा ? बोले सूजल, मैं चौंका क्या सूजन अरे सूजन नहीं भई सूजल बे बोले ! मैं बोला यार देश मैं इतने प्यारे - प्यारे नाम छोड़कर तुम्हें यही नाम मिला सूजल सुनकर ऐसा लगता है किसी बुजुर्ग के जाते समय उसके शारीर पर सूजन आ गई हो! वे बोले यार क्या करें मैं तो इसका नाम सुजीत रखना चाहता था मगर मेरी पत्नी को एक धारावाहिक मैं ये नाम पसंद आ गया, इसलिए उसने सुजीत का सूजल कर दिया ! मैंने अपना माथा पकड़ लिया यार इस देश का कुछ नहीं हो सकता ! ये पति बेचारे धारावाहिकों के मारे ! 

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